टीएलपी के सामने पाकिस्‍तान सरकार ने टेके घुटने, इमरान कैबिनेट ने लिया बड़ा फैसला

टीएलपी के सामने पाकिस्‍तान सरकार ने टेके घुटने, इमरान कैबिनेट ने लिया बड़ा फैसला

टीएलपी के सामने पाकिस्‍तान सरकार ने टेके घुटने

टीएलपी के सामने पाकिस्‍तान सरकार ने टेके घुटने, इमरान कैबिनेट ने लिया बड़ा फैसला

इस्लामाबाद: पाकिस्तान सरकार ने कट्टरपंथी और प्रतिबंधित संगठन तहरीक-ए-लब्बैक को राजनीतिक पार्टी घोषित करते हुए तमाम प्रतिबंधों को हटा लिया है। इसके साथ ही कम से कम सात पुलिसकर्मियों को मौत के घाट उतारने वाला है और करोड़ों की सरकारी संपत्ति को आग लगा देने वाले पाकिस्तान के इस्लामी संगठन तहरीक-ए-लब्बैक अब चुनाव लड़ सकती है और इमरान खान ने इस संगठन के आगे अपने घुटने टेक दिए हैं।

इमरान खान ने टेके घुटने

तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान, जिसे टीएलपी कहा जाता है, उसका पाकिस्तान की इमरान खान सरकार के साथ समझौता हो गया है और इमरान खान ने टीएलपी पर लगे प्रतिबंधों को हटा लिया है। जिसके बाद टीएलपी ने पाकिस्तान में अपना मार्च फिलहाल स्थगित कर दिया है। प्रधानमंत्री इमरान की इजाजत के बाद टीएलपी को प्रतिबंधित संगठनों की लिस्ट से बाहर निकाल लिया गया है। आपको बता दें कि, 2015 में बने तहरीक-ए-लब्बैक को इस साल अप्रैल में प्रतिबंधित कर दिया गया था, क्योंकि इसने फ्रांस में प्रकाशित 'ईशनिंदा' कार्टून पर फ्रांसीसी राजदूत के निष्कासन की मांग को लेकर पूरे पाकिस्तान में हिंसक विरोध प्रदर्शन किया था, जिसमें 7 पुलिसकर्मी मारे गये थे।

इमरान सरकार का सरेंडर

रिपोर्टों के अनुसार, इमरान खान ने आंतरिक मंत्रालय के माध्यम से प्रांतीय पंजाब सरकार की सिफारिश के बाद प्रतिबंध हटाने के लिए अपनी सहमति दी। इस संगठन पर अप्रैल महीने में उस वक्त बैन लगाया गया था, जब इसने पाकिस्तान के कई जिलों में हिंसक प्रदर्शन किया था और सात पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी थी। अप्रैल में हुए प्रदर्शन में कुल 21 लोगों की मौत हो गई थी। जिसके बाद टीएलपी के प्रमुख मौलाना साद रिजवी को इमरान खान ने गिरफ्तार करवा दिया था और 31 अक्टूबर को गिरफ्तारी के विरोध में इस संगठन ने राजधानी को घेर लिया था और अल्टीमेटम देते हुए कहा था कि, अगर इमरान खान साद रिजवी को रिहा नहीं करते हैं, तो पूरे पाकिस्तान में आग लगा दी जाएगी। जिससे डरकर इमरान खान ने फौरन इस संगठन से समझौता कर लिया।

कट्टरपंथियों से डरी इमरान सरकार

इमरान खान सरकार ने देश के एक कट्टरपंथी संगठन के आगे घुटने टेक दिए, जिसके बाद पाकिस्तान के विश्लेषकों का कहना है कि, एक कट्टरपंथी संगठन के आगे सरेंडर कर देना पाकिस्तान के भविष्य को बर्बाद करने वाला है। क्योंकि, मजहब के आधार पर पाकिस्तान में हमेशा से कत्लेआम होता आया है, और अगर इसे सरकारी स्वीकृति मिलने लगे, तो इस तरह की घटनाएं और बढ़ जाएंगी।

बर्बाद करने वाला कदम

पाकिस्तान के एक्सपर्ट कमर चीमा ने कहा कि, इमरान खान सरकार ने देश को बर्बाद करने वाला कदम उठाया है और साबित कर दिया है कि, कट्टरपंथियों के आगे देश हार गया है। उन्होंने कहा कि, अगर एक संगठन से सरकार मुकाबला नहीं कर सकती है, तो फिर इससे सरकार का इकबाल खत्म होता है। आपको बता दें कि, इमरान सरकार ने तहरीक-ए-लब्बैक के साथ क्या समझौते किए हैं, इसकी जानकारी अभी तक देश की अवाम को नहीं दी गई है और शर्तों का खुलासा नहीं किया गया है।

मौलवियों के मौलवी निकले इमरान खान

पाकिस्तान के डिफेंस एक्सपर्ट कमर चीमा ने एक यू-ट्यूब चैनल से बात करते हुए कहा कि, प्रधानमत्री बनने से पहले इमरान खान पश्चिमी देशों की सभ्यता और कानूनों की बात कर रहे थे और उन्होंने देश को एक उम्मीद दिखाई थी कि, हम कट्टरपंथ से बाहर निकल सकते हैं, लेकिन प्रधानमंत्री बनने के बाद जैसे ही इमरान खान देश के मुद्दों पर नाकामयाब साबित हुए हैं, उन्होंने खुद को इस्लाम के चादर तले ढंक लिया है और हर बात पर 'इस्लाम खतरे में है' का कार्ड खेलते हैं। उन्होंने कहा कि, इमरान खान चाहे घरेलू मंच हो या फिर अंतर्राष्ट्रीय मंच...वो हर मंच पर इस्लामिक कार्ड खेलते हैं और इस्लामोफोबिया की बात करते हैं, और अब तो उन्होंने एक 'आतंकवादी संगठन' को ही चुनाव लड़ने की इजाजत दे दी है, जो देश को विनाश के रास्ते पर ले जाने वाला है।